प्रो.डॉ. अनिता नेरे नेनारी विमर्श की साहसिक गाथा - छिन्नमस्ता इस किताब मेंनारीस्वतंत्रताकी समर्थक
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प्रो.डॉ. अनिता नेरे नेनारी विमर्श की साहसिक गाथा – छिन्नमस्ता इस किताब मेंनारीस्वतंत्रताकी समर्थक , समकालीन लेखिकाओं में स्वनामधन्य लब्धप्रतिष्ठित कथाकार , उद्योग जगत की गहरी जानकार महिला, इन सबसे बढकर बोल्ड और निर्भीक आत्मस्वीकृति की साहसिक गाथा लिखनेवाली साहित्यकारप्रभा खेतान केउपन्यास छिन्नमस्ता की सटीक समीक्षा कर मुक्ति के लिए संघर्ष करती हुई नारी (प्रिया) के आंतरिक द्वंद्व को उजागर किया हैं | यह उपन्यास प्रभा खेतान की व्यक्तिगत जीवन से जुडी कुछ घटनाओं से संबंधित हैं | उनकी आत्मकथा अन्या से अनन्या का ही कुछ भाग सिर्फ नाम बदलकर आया हैं | अनुभूति की अभिव्यक्ति इस उपन्यास की विशेषता रही हैं |
प्रो.डॉ. अनिता नेरे नेछिन्नमस्ताउपन्यास के द्वारा एक ऐसी नारी की मानसगाथा प्रस्तुत की हैं , जो निरंतर विसंगतियों के मार्ग से गुजरने के उपरांत एक दिन अपने अस्तित्व के प्रति इतनी जागरूक हो जाती हैं कि कोई भी मोह , कोई भी आवाज उसे इस रह से वापस नहीं लौटा सकती |
उपन्यास की नायिका प्रिया अपने जीवन का निर्माण स्वयं कर अपनी पहचान बनाने के लिए निरंतर जूझती हैं | वह परम्परा को नकारकर आधुनिकता का स्वागत करती हैं | प्रिय हर संकट का सामना कर अपने व्यापार को विदेशी बाजार तक फैलाती हैं |पति और पुत्र से अलग होकर अकेली जिंदगी का सफर करती हैं | वह आत्मविश्वास को ही अपनी धरोहर मानती हैं | इस प्रकार प्रो.डॉ. अनिता नेरे नेछिन्नमस्ताउपन्यास के द्वारा नारी (प्रिया) की साहसिक गाथा को बड़े ही सटीक रूप से चित्रित किया हैं | यह किताब नारी विमर्श और प्रभा खेतान के साहित्य का अध्ययन करने वाले छात्रों एवं शोधार्थियों कोसंदर्भ ग्रंथ के रूप में बहुत ही लाभदायी हैं | लेखिका ने अपनी सामर्थ्य सीमा में सामग्री संकलन विश्लेष्ण किया हैं | एक नारी ही दूसरी नारी की पीड़ा को समझ सकती हैं ,यह उनकी किताब को पढ़ने पर मालूम होता हैं |उन्होंने जूझती हुई नारी को यथार्थ रूप में उभारा हैं |उनकी यह किताब नारी के अस्तित्व को समझने की दिशा में सहायक होगी |
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