अन्या से अनन्या

By प्रभा खेतान

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Publish Date

2012-01-01

Published Year

2012

Total Pages

286

ISBN

978-81-267-1342-4

ISBN 10

978-81-267-1342-4

Format

Paperback

Country

India

Language

Hindi

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अन्या से अनन्या

नारीवादी लेखिका, उद्योग जगत की गहरी जानकार महिला, इन सबसे बढकर बोल्ड और निर्भीक आत्मस्वीकृति की साहसिक गाथा लिखनेवाली रचनाकार प्रभा खेतान की ‘अन्या से...Read More

Dr. Yogita Dattatray Ghumare

Dr. Yogita Dattatray Ghumare

February 3, 2025February 3, 2025
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अन्या से अनन्या
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नारीवादी लेखिका, उद्योग जगत की गहरी जानकार महिला, इन सबसे बढकर बोल्ड और निर्भीक आत्मस्वीकृति की साहसिक गाथा लिखनेवाली रचनाकार प्रभा खेतान की ‘अन्या से अनन्या’ यह आत्मकथा | प्रभा जी अपनी इस आत्मकथा से नारी को सन्मानित करना चाहती है| प्रभा जी का यह आत्मकथन प्रकाशित हुआ तब उनके साहस एवं बेबाकी की प्रशंसा हुई और आलोचना भी| लेकिन इन सबसे वे इतनी ऊपर उठ चुकी थी कि आलोचना और प्रशंसा का उन पर कोई असर नहीं हुआ| लेखिका की पीड़ा को इन शब्दों द्वारा समझा जा सकता है- “कैसा अनाथ बचपन था| अम्मा ने कभी गोद में लेकर चूमा नहीं| में चुपचाप घंटो उनके कमरे के दरवाजे पर खड़ी रहती, शायद अम्मा मुझे भीतर बुला ले| शायद हाँ रजाई में सुला लें| मगर नहीं एक शास्वत दूरी बनी रही हमेशा हम दोनों के बीच|” उनके संपूर्ण आत्मकथा में नारी चेतना का स्वर उभरता है| हिंदी साहित्य में ‘अन्या से अनन्या’ इस आत्मकथा का एक अलग ही स्थान है| स्त्री अधिकार एवं स्वंतंत्रता का साक्षात दस्तावेज़ प्रस्तुत आत्मकथन द्वारा स्पष्ट होता है| प्रभा खेतान की यह आत्मकथा अपानी ईमानदारी के अनेक स्तरों पर एक निजी राजनैतिक दस्तावेज़ है, बेहद बेबाक, वर्जनाहीन और उत्तेजक| ‘अन्या से अनन्या’ यह कृति समाज को दर्पण दिखाने का काम करती है, जिसमें नारी परिवर्तन का चित्रण हैं| शिक्षा प्राप्त करने पर महिला अपने ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ विद्रोह कर सकती है, और नारी जीवन में भी चेतना लाने का काम करती है| प्रस्तुत आत्मकथा में लेखिका का पुरुषप्रधान व्यवस्था के प्रति विद्रोह का स्वर दिखाई देता है| उनके जीवन में आये हुए, अनुभवों के कारण वे एक विद्रोही नारी बनी| स्त्री अस्मिता एवं स्त्री समानता के लिए लढती रहीं, तभी तो ‘अन्या’ से ‘अनन्या’ कहलाई|

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