नबीला और अन्य कहानियां

By राय सारा

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Original Title

नबीला और अन्य कहानियां

Series

Publish Date

2022-12-01

Published Year

2022

Total Pages

160

ISBN

१३९७८-९३९०९७१३९८

Format

papreback

Country

India

Language

हिन्दी

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उनकी अपनी अलहदा छाप अक्सर ही दिखती है़ उनकी पिछली किताबों से ‘कगार पर’ और ‘परिदृश्य’ कहानियां मेरे साथ रह गई थी़

सारा राय मुझे हिन्दी के ख़ुदरंग कहानीकारों में से एक लगती । हैं उनकी ज़्यादातर कहानियों में उनकी अपनी अलहदा छाप अक्सर ही दिखती है़...Read More

Muthe Priyanka Popat

Muthe Priyanka Popat

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उनकी अपनी अलहदा छाप अक्सर ही दिखती है़ उनकी पिछली किताबों से ‘कगार पर’ और ‘परिदृश्य’ कहानियां मेरे साथ रह गई थी़
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सारा राय मुझे हिन्दी के ख़ुदरंग कहानीकारों में से
एक लगती । हैं उनकी ज़्यादातर कहानियों में उनकी अपनी
अलहदा छाप अक्सर ही दिखती है़ उनकी पिछली किताबों से
‘कगार पर’ और ‘परिदृश्य’ कहानियां मेरे साथ रह गई थी़  इस
बरस आए उनके नए संग्रह ‘नबीला और अन्य कहानियां’ की
भी ज़्यादातर कहानियां टिपिकल सारा राय के साहित्य संसार
की उपज हैं ।
‘ नबीला’ कहानी बिना किसी उपदेश के तथाकथित
मुख्यधारा के लिए ग़ैर-ज़रूरी सी दिखती एक बांग्लादेशी
विस्थापित लड़की की कहानी के ज़रिए विस्थापन, बचपन,
बाल-श्रम, आज़ादी और स्त्रीवाद से जुड़े कई सवाल और
मुबाहिसे हम तक छोड़ जाती है़ नबीला की बाल-सुलभ
कल्पनाशीलता से भरी हुई झूठी-सच्ची सम्मोहक कहानियों में
जबरन छिन गए एक बचपन की त्रासद गूंज है़ ।

 ‘परिणय’ कहानी मध्यवर्गीय दाम्पत्य जीवन की बोरियत
और पीयर प्रेशर के भोंडे खेल को अनावृत्त करती है । तो
‘गोल्डन एनिवर्सरी; कहानी इसी बोरियत भरे दाम्पत्य में सतह
के पीछे चुपचाप बरस रहे सतत प्रेम और परवाह की सरस
झांकी दिखाती है़ गोल्डन एनिवर्सरी में पारंपरिक क़िस्सागोई
के टूल्स का प्रयोग कहानी की पठनीयता को निखारता है़ । 
  ‘सीमा-रेखा’ में निर्मल के उपन्यास ‘लाल टीन की छत’ की
महक है, लेकिन कहानी का फ़लक इतर है़ । कहानी जातिवाद
के बैगेज के साथ आने वाली शुचिता की भोथरी अवधारणा को
दो सहेलियों के बीच बचपन में मेंस्ट्रुएशन को लेकर बरते गए
एक झूठ के संदर्भ में रखती है़  ।
 प्यार’ कहानी प्रेमी के न रहने के बाद प्यार जैसी लगभग
अपरिभाषेय भावना को ठीक-ठीक पकड़ने की कोशिश करता
हुआ अनूठा, इंटेंस और रसीलाए लेकिन बेहद उदास कर देने
वाला गद्य है़ । ‘अक्स’ कहानी (?) बनारस और इटली के पलेर्मो
शहर के बीच चहलकदमी करते हुए दुनियाभर के इंसानों की
नज़र और अहसासों की यकसानियत पर रोशनी डालती है़ ।
‘सिलसिला’ कहानी रेखाचित्र ज़्यादा है और कहानी कम़
 एक ऐतिहासिक बाग़ के बाग़बान की ज़िंदगी की छोटी-छोटी
डिटेल्स इतने ख़ुशबूदार और ज़ायकेदार तरीक़े से सामने आती
है कि पाठक का मन नाच उठे़  और इस बाग़बान की ज़िंदगी के
मार्फ़त हमें हमारी स्थूल दुनिया के कामिल होने का संदेश भी
सलोने ढंग से मिलता है़ । मरने के बाद किसी और दुनिया की
चाहत की निरर्थकता को भी ख़ूबसूरती से शाया किया गया है़
‘कम बोलने वाले भाई’ कहानी आसन्न मृत्यु के संदर्भ में जिए
गए जीवन की नापजोख करते हुए वजूद के बुनियादी सवालों
से टकराती है़ ।

  ‘हमाम-दस्ता’ भी निर्मल वर्मा की परम्परा की कहानी है़
मुख्य पात्र बड़ी दादी का चरित्र रूपा सिंह की पिछले वर्षों में
काफ़ी चर्चित हुई कहानी ‘दुखां दी कटोरी: सुखां दा छल्ला’ की
बेबे की याद भी दिलाता है़ । दोनों कहानियां हमारी
दकियानूसी दुनिया में स्त्री की नियति के साथ पैवस्त कर दी
गयी त्रासदी को मार्मिकता से स्पर्श करती हैं । जहां दुखां… की
बेबे सांप्रदायिक उन्माद से भरी इस दुनिया में एक विधर्मी प्रेमी
की इंसानियत की अनमोल निशानी को उम्र भर बेइंतहा जतन
से संभालकर रखती हैं । वहीं हमाम-दस्ता की बड़ी दादी अपने
चरित्र पर लगे कलंक के साथ जीते हुए भी अपनी बीती
मोहब्बत को अपनी छाया में छुपाकर बीतती जाती हैं । कहानी
में हमाम-दस्ता एक बिसरी हुई दुनिया की शिनाख़्त का ज़रिया
बन जाता है़ ।

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