
महाभोज
पुस्तक के बारे मे..
मेरी दृष्टी से..
मनु भंडारी को इसका श्रेय जाना चाहिए कि, उन्होने अतिपरिचित परिस्थितीयों के इतने व्यापक फलक को बिना किसी प्रचलित मुहावरे का शिकार हुए समेट लिया है I इसी नाम से उनके चर्चित उपन्यास का यह नौ दृश्य नाट्यकरण अत्यंत यथार्थपरक और तर्कसंगत है I इस नाटक मे हम समाज मे सक्रिय अनेक ताकदों और गरीबो को जीवन पर इनके प्रभाव की परिणीतीओं को दृश्य दृश्य खुलते देखते है I
मोहन राकेश के बाद पहली बार हम इस नाटक के सुगठीत संवाद का श्रवण सुख भी पाते है I
फायनान्शिअल एक्सप्रेस महाभोज सामाजिक यथार्थ रुखा अंकन मात्र नही है I एक बहुत सोचे समजे रचनात्मक डिझाईन की उत्पत्ती है I साथ ही बहुत सगण भी इस नाटक को राजनीतिक नाट्य रचनाओ मे गिना जायेगा जो सिर्फ दर्शक भावना और आक्रोश का दोहन मात्र नही करता बलकी यथार्थ की क्रुर और विचलित करने वाली छबी के शक्तिशाली प्रक्षेपण के द्वारा दर्शक की नैतिक संवेदना को चुनोती देती है और उन्हे अपने विवेक की खोज मे प्रवृत्त करती है