सुमन सिंह

सुमन सिंह

By सुमन सिंह

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पुस्तक के बारे मे..
मैने समझा..
साहित्य मे किसी भी विधा को अपने लक्ष तक पोहोचने के लिये बहुत सी समस्या का सामना करते हुए अपना मार्ग प्रशस्त करना पडता है I हिंदी गझल भी इस बात से अपवाद नही है I अरब- फारसी से आगत विधा होने के कारण प्रारंभ मे हिंदी गझल अरबी फारसी का प्रभाव लेकर ही हिंदी साहित्य मे प्रचलित राही हैI वस्तूविन्यास से लेकर शिल्प तक यह प्रभाव उस पर हावी रहा है, कितू वर्तमान समय मे हिंदी गझल अपने स्वतंत्र अस्तित्व के साथ प्रभावी है I
इस बात का श्रेय निर्विवाद रूप से दुष्यंत कुमार को जाता है I उन्होने हिमनदी गजलों को राज़दरबार से निकाल कर जनमानस तक पोहोचया हैI सदैव से चले आ रहे रीवाज के साथ साथ गजल के क्षेत्र में एक नया आंदोलन खडा कर दिया हैI इससे तत्कालीन कवि प्रभावित हुए और उनसे प्रेरणा लेखन गजलो की श्रीवृद्धी अपना योगदान देने लगे I उनके पश्चात आने वाले सभी कवीयो को एक विशिष्ट दिशा मिली और यह आंदोलन अधिक प्रखर होकर आगे बढने लगा I दुष्यंतकुमार प्रतिबद्ध रचनाकार थे I वे देश समान की व्यवस्था के विरुद्ध आवाज उठते हुए जनमानस को प्रतिनिधित्व करते रहे I उनकी गजलो साहित्य की मौलिक धरोहर हैI आपने हिंदी गझल को परंपरागत रूप से बाहर निकाल कर सामाजिक संदर्भ से जोड दिया I नई कविता के समर्थ कवी दुष्यंत कुमार ने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुन गझल को एक नया मोड प्रदान किया है I उनकी यही चिंतन एक नई दिशा नही शक्ती और नए तेवर के साथ गजलो मे दिखाई देती है I

Original Title

सुमन सिंह

Publish Date

2022-01-01

Published Year

2022

Total Pages

148

ISBN

978-93-82409-41-0

Format

Hardcover

Country

India

Language

Hindi

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