Availability
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Original Title
कटघरे
Subject & College
Series
Publish Date
2020-01-01
Published Year
2020
Publisher, Place
Total Pages
200
Format
paparback
Country
india
Language
hindi
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समाज द्वारा बनाए गये विभिन्न कटघरे में मनुष्य की कथा है
एक प्रतिभाशाली, संवेदनशील और ईमानदार आईएएस अफ़सर का जीवन वृतांत कहता यह उपन्यास समाज द्वारा बनाए गए विभिन्न कटघरों में क़ैद मनुष्य की कथा है...Read More
Gavhane Atul Vishram
समाज द्वारा बनाए गये विभिन्न कटघरे में मनुष्य की कथा है
एक प्रतिभाशाली, संवेदनशील और ईमानदार आईएएस
अफ़सर का जीवन वृतांत कहता यह उपन्यास समाज द्वारा
बनाए गए विभिन्न कटघरों में क़ैद मनुष्य की कथा है । नायक
ब्रह्म कुमार, जो कि एक युवा एसडीएम है अपनी जातीय
पहचान के मानसिक कटघरे में छटपटा रहा है । वो ज़ाहिर नहीं
होने देता कि वह शेड्यूल कास्ट से संबंध रखता है, ताकि उसे
ऊंची जातियों के दबदबेवाली अफ़सरशाही में अलग दृष्टि से न
देखा जाए । अपनी पहचान छुपाने की उसकी यह कोशिश
ताउम्र चलती रहती है । उसकी मानसिक उलझन कहानी को
आगे बढ़ाती है ।
एक इंसान का जीवन कितनी विसंगतियों का लेखा-जोखा
होता है, यह ब्रह्म कुमार के जीवन से स्पष्ट होता है । एक
नालायक पति द्वारा बेसहारा छोड़ी गई महिला के संघर्ष से
द्रवित होकर उसे सहारा देनेवाला ब्रह्म कुमार, जो पाठकों को
देवता समान लग सकता है, आगे चलकर ख़ुद क्या करता है?
वो अपनी अनपढ़ पत्नी और बच्चियों को अपने साथ नहीं रखता,
क्योंकि उसे लगता है कि वह जिस वर्ग में पहुंच गया है, वे उस
वर्ग से समन्वय नहीं स्थापित कर पाएंगी । वह लड़की, जो कम
उम्र में ही उससे ब्याह दी गई थी, जिसने हमेशा केवल अपने
पति की सफलता की कामना की थी, उसे वह तलाक़ दे देता है
। जाति भेद के कटघरे से नफ़रत करनेवाला और बाहर से आए
आर्यों और धर्म के पाखण्ड को भारत के मूल निवासियों की
दयनीय स्थिति के लिए उत्तरदायी माननेवाला ब्रह्म कुमार ख़ुद
ऊंची हैसियत के दंभ रूपी कटघरे में फंस जाता है ।
अपनी एक पूर्व सहपाठिन, जो कि ख़ुद भी तलाक़शुदा है, से
दोबारा विवाह करनेवाले उस व्यक्ति को अंत में क्या मिलता
है? नि:स्वार्थ प्रेम करने वाली पूर्व पत्नी की मृत्यु उसे अंदर तक
झकझोर देती है । दूसरे विवाह से पैदा हुए बेटे की
किशोरावस्था में हुई मौत उसे पूरी तरह तोड़ कर रख देती है ।
उसके सामने कई अनुत्तरित सवाल मुंह बाए खड़े होते हैं और
वह एक बार फिर नितांत अकेला हो जाता है ।
हालांकि पुस्तक का ज़्यादातर हिस्सा एक व्यक्ति के नज़रिए से
लिखा गया है, कहीं-कहीं पुस्तक बोर भी करती है, पर कहानी
आख़िर तक बांधे रखती है ।
