बंदूक द्वीप

By घोष अमिताभ

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Availability

available

Original Title

बंदूक द्वीप

Series

Publish Date

2019-01-01

Published Year

2019

Total Pages

200

ISBN 13

९७८९३८९६४८७५१

Format

paparback

Country

india

Language

hindi

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विस्थापन और संक्रमण की कगार पर खाडी दुनिया की कहानी

बचपन में सुनी लोककथाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं? कई बार अविश्वसनीय सी लगनेवाली ये कहानियां, क्या पूरी तरह से हमारे पूर्वजों की...Read More

Nawale Tushar Bhanudas

Nawale Tushar Bhanudas

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विस्थापन और संक्रमण की कगार पर खाडी दुनिया की कहानी
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बचपन में सुनी लोककथाओं के बारे में आप क्या सोचते हैं?
कई बार अविश्वसनीय सी लगनेवाली ये कहानियां, क्या पूरी
तरह से हमारे पूर्वजों की कपोल कल्पना से उपजी हैं या इनका
हक़ीक़त से कोई नाता होता है? अंग्रेज़ी के मशहूर लेखक
अमिताभ घोष का नया उपन्यास बंदूक़ द्वीप इन्हीं सवालों के
जवाब तलाशता दिखता है ।
ब्रुकलिन, अमेरिका में रहनेवाला, पुरानी दुर्लभ किताबों
और ऐंटीक एशियाई वस्तुओं का व्यापारी दीनानाथ दत्ता
(दीन) हर साल की ठंडियों की तरह इस बार भी कलकत्ता
स्थित अपने पुश्तैनी घर आता है । साठ की उम्र के क़रीब पहुंच
रहा दीन सिंगल और तनहा है । नीरस सी कट रही उसकी
ज़िंदगी में तब एक नया रोमांच भर जाता है, जब इस बार के
कलकत्ता प्रवास में वह बचपन की अपनी पसंदीदा बंगाली

लोककथा से दोबारा रूबरू होता है । उस लोककथा की कहानी
यह है कि ‘चांद सागर’ नामक एक व्यापारी सांपों तथा अन्य
ज़हरीले जीवों की देवी ‘मनसा देवी’ के प्रकोप से बचने के लिए
विदेश भाग जाता है । इस लोककथा पर आधारित एक बांग्ला
महाकाव्य पर वह अपने विद्यार्थी जीवन में थीसिस लिख चुका
था । उसके शोधपत्र ने जहां बहुतों को प्रभावित किया था, वहीं
दीन ने कहानी को महज़ एक कपोल कल्पना मानकर लगभग
भुला दिया था ।
सालों बाद यह दंतकथा बंदूकी सौदागर बनकर दीन की ज़िंदगी
में लौटती है । शुरुआती हिचक के बाद न चाहते हुए भी दीन
को इस कहानी में दिलचस्पी लेनी पड़ती है । इस दंतकथा की
वास्तविकता की पड़ताल करनेवाली यात्रा पर चल निकलता है
और वह बंगाल के सुंदरबन इलाक़े से होते हुए अमेरिका के
लॉस एंजेलिस और फिर इटली के प्राचीन शहर वेनिस पहुंचता
है । इस पूरी यात्रा के दौरान वह अपने अंतरद्वद्वों से लड़ता
रहता है ।
इस यात्रा पर चल निकलते ही दीन के साथ कई चमत्कृत
कर देनेवाली घटनाएं घटती हैं । यह यात्रा इतनी रोचक और
अविश्वसनीय है कि दीन के साथ-साथ पाठक भी चौंकते हैं ।
कुछ समय बाद वह जिस तरह अपनी एक समानांतर दुनिया में
खो जाता है, पाठक भी उसे महसूस कर पाते हैं । मनसा देवी
और बंदूकी सौदागर की हक़ीक़त को तलाशती दीन की यह
यात्रा जब अपने आख़िरी पड़ाव पर पहुंचती है, तब जीवन,
संसार और मान्यताओं को देखने की एक नई धारणा पुख़्ता तौर
पर आकार ले चुकी होती है ।
बीते समय के मिथकीय पात्रों की तलाश करता यह
उपन्यास जलवायु परिवर्तन, मानव तस्करी जैसी आज की
समस्याओं को भी दिलचस्प तरीक़े से कथानक में शामिल

करता है । मुख्य पात्र दीन के अलावा पिया रॉय, जाचीनता
सकीअवॉन (चीनता), टीपू मंडल और रफ़ी नामक मछुआरे
लड़के की कहानियां भी रोमांच के स्तर को बढ़ाने का काम
करती हैं । इन सभी कहानियों की कड़ियां मिलकर उस श्रृंखला
को पूरी करती हैं, जो कहानी को बंदूक़ द्वीप पर ले जाती है ।
ग्रेज़ी के मशहूर लेखक अमिताभ घोष की यह रचना अपने
अनूठे कथानक, रोचक दास्तांगोई और चौंका देनेवाले
क्लाइमेक्स के चलते प्रभावित करती है । साथ ही विस्थापन
और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों को रोमांचक अंदाज़ में बयां करने
के लिए भी पढ़ी जानी चाहिए । यदि आपको फ़िक्शन रुचि है
तो भी आपको यह उपन्यास ज़रूर पढ़ना चाहिए ।
बंदूक़ द्वीप अंग्रेज़ी नॉवेल गन आइलैंड का हिंदी अनुवाद है ।
अनुवादक मनीषा तनेजा ने तर्जुमा करते हुए भाषा और
भावनाओं के संप्रेषण में कहीं कोई कमी नहीं आने दी है । सो
कहीं से भी यह उपन्यास आपको भाषा के चलते बोझिल नहीं
लगेगा ।

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