आधुनिक काल की प्रमुख रचना एक पत्नी के नोट्स ममता कालिया का एक लघु उपन्यास है.कविता जैसी
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आधुनिक काल की प्रमुख रचना एक पत्नी के नोट्स ममता कालिया का एक लघु उपन्यास है.कविता जैसी उच्चशिक्षित महिला कि मानसिक,घुटन का चित्रण यहा है.संदीप एक प्रबुद्ध युवा है एम् ए करने के बाद पिता की इच्छा के अनुरूप वह आय.ए.इस.बन जाता है.संदीप की बुधि बहुत तेज है.दो हजार से अधिक टेलीफोन नम्बर वह मौखिक रूप में याद रखता है.कविता से उसका परिचय विश्विद्यालय में जाते समय रिक्शा में हो जाता है.कविता को वह शालीन व्यवहार सादगी,शब्दों के जाल से प्रभावित करता है बाद मे प्रेम और विवाह.विवाह के कुछ दिनों के उपरांत कविता को संदीप का मुल स्वभाव एवं स्री के प्रति उसके मन में स्थित भावनाओं का पता चलता है. वह कविता को केवल मन बहलाने वाली गुडिया मानता है.वह कविता पर शायरी करता है किंतु उसमें व्यंग्य एवं कविता का अपमान अधिक होता है.मेहमानों,दोस्तों के सामने कविता को अपमानित करता है.कविता उसकी काव्यत्मकता से आहत हो जाती है.
कविता एवं संदीप के वैवाहिक जीवन में धीरे धीरे दरारे पड़ने लगी.संदीप कविता के साथ पत्नी नही गुडिया सा व्यवहार करने लगा.कविता उस व्यवहार एवं व्यंग्य से घायल होती रही. नोकर सोहम को लेकर कविता के चरित्र पर संदेह करने लगा.कविता उसके इस संदेह पर उसे डोंट बी स्टुपिड कहती है.कविता कहती है मेरी पीड़ा तुम्हारी क्रीडा बन गयी है.कविता संदीप को छोड़ कर घर से स्टेशन चली जाती है.वह कविता को मनाने के लिए फिर एक नाटक करता है रेल से निचे छलांग लगाकर कविता के मन में प्यार कि भावना निर्माण करने का प्रयत्न करता है.संदीप फिर उसे सॉरी कहकर मना लेता है.संदीप सोचता है की क्या कविता से बेहतर जीवन साथी वह अपने जीवन में पा सकता है. यह उपन्यास आधुनिककाल कविता के माध्यम से की उस महिला वर्ग कि पीड़ा,वेदना, घुटन,को हमारे सामने रखता हैजो सामान्य व्यक्ति कि सोच,विचार के विपरीत है. संदीप जैसी मानसिकता के अनेक पुरुष समाज में है जिनकी मानसिकता स्रियो को कुचलने,अपमानित करने, गुडिया मानकर मनोरंजन करने की रही है.जिनका उपरी चरित्र बहुत आदर्श दिखाई देता है.किंतु इनका आतंरिक रूप चरित्रहिन,असामजिक,विकृत, एवं असवेदंशील होता है.निसंदेह प्रस्तुत उपन्यास समाज का यथार्थ चित्रित करता है.
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