Name of the Reviewer: Gupta Dhanu Santosh
Name of the College: Nowrosjee Wadia College, Pune
Title of the Book Wings of fire (अग्नि की उड़ान)
Name of the Author Dr A.P.J Abdul kalam (co Author Arun Tiwari)
Publisher Prabhat Prakashan, New Delhi Pages 192
Abstract and special features of the book.
* फ्रंट कवर पेज :
ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ‘विंग्स ऑफ फायर’ पुस्तक के आमुख पृष्ठ पर चित्रित है। जिसमें कलाम जी की विचारशील तस्वीर के साथ मिसाइल को प्रक्षेपित रूप में दर्शाया गया है।
* भाषा- पुस्तक की भाषा सरल है। पुस्तक पढ़ते समय आगे की जिज्ञासा बनी रहती है। मुख्यत यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखा हुआ है परंतु इसका अनुवाद आन्द्र उपाध्याय जी ने हिंदी भाषा में किया है।
* पुस्तक का आकारः पुस्तक का आकार मध्यम है अर्थात “पुस्तक बहुत मोटी नहीं है और न ही पतली है।
लेखक परिचय : नाम – ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
जन्म स्थान रामेश्वरम, तमिलनाडु जन्म तारीख – 14 ऑक्टोबर १९३१
iv) मृत्यु- २७ जुलाई २०१५
ए. पी. जे अब्दुल कलाम भारत के एक जाने माने वैज्ञानिक होने के साथ भारतू के ११ वें राष्ट्रपति भी थे। उन्हें तीन उच्च नागरिक अवार्ड- पट्टम भुषण, पद्म विभूषण और भारतरत्न
से भी नवाजा गया है।
पुस्तक का परिचयः अग्नि की उडान (wings of fire) ऑटोबायोग्राफी साथ मिलकर लिखा राष्ट्रपति बनने लिखी गई है। वैज्ञानिक और है। इस पी.जे अब्दुल कलाम ए १ जिसे Fire) उन्होने अरुण तिवारी जी है। इस पुस्तक में कलाम जी से पहले की उनकी जिंदगी के आत्मकथा में अंतरिक्ष कार्यक्रम कलाम जी ने बारे में अपनी में होने वाली तकनीकी और राजनीतिक चुनौतियों के बारे में गा हुआ है। बताया हुआ इस पुसक से हमें यह भी पता चलता है की हमारे देश लोग आजादी के पुर्व बिना भेदभाव और मतभेद के एक साथ रहते थे।
क्या है किताब में?
विंग्स ऑफ फायर में एपीजे अब्दुल कलाम की शुरुवाती जिंदगी, इंडियन स्पेस रिसचे और उन्होने जो काम किए उनका और मिसाइल प्रोग्राम में हुआ है। 1
शुरुवात के चैप्टर्स के दौरान की हघटी बताया गया है। में हमारे देश की अलग-अलग से लेकर परिस्थितियों के बार है। कलाम की पैदाइश रामेश्वरम में हुई किताब में बताया गया है कि विभाजन में हुई थी। से पहले कैसे अलग-अलग धर्म के लोग आपस मे मिलकर रहते थे।
मशहूर शिव मंदिर, जो आज रामेश्वरम मंदिर के नाम से जाना जाता है वो मंदिर कलाम के हघर से कुछ ही दूरी पर
कलाम अपने बचपन की कहानियों का जिक्र करते हुए। लिखते है की वे रामेश्वरम एलीमेंट्री स्कूल में कक्षा ५ थे और उन्हें पढ़ाने एक नए शिक्षक आए कलाम
जी उस समय मुस्लिम सामुदाय वाली टोपी पहना करते थे और वे कक्षा में उनके मित्र रामानंद शास्त्री (ब्राहमण) के साथ आगे की पंक्ति में बैठते थे। परंतु उस नए शिक्षक को वह अच्छा न लगा और इस कारण उसने क्लाम को पीछे बैठने को कहा। यह बात दोनों मित्रो को अच्छा न लगा और उन्होंने अपने माता-पिता को मे शिक्षक को यह बात बताई। तब लक्ष्मण शास्त्री जी ने बुलवाकर फटकार लगाई और मांफी मांगने को क्या कलाम शुरुवात के दिनों में एयर फोर्स ऑफिसर बनना चाहते थे लेकिन वो इंटरव्यू नही पार कर सके। इस असफलता के बाद उनकी मुलाकात स्वामी, सिवानंद से हुई • जहां उन्होंने कलाम से कुछ ऐसा कूदा जो हर किसी को पढ्ना को स्वीकार चाहिए। उन्होने कहा’ अपनी विस्मत को करो और जिंदगी में जो भी है उसका स्वागत करो। तुम एयर फोर्स पायलट बनने के लिए नहीं बने हो। इस असफलता को भुल जाओ क्योंकि ये तुम्हें उस रास्ते पर ले जाने के लिए जरूस्ती या जिसके लिए तुम बने हो। और तब कलाम जी ने एरोनॉटीकल डिवेलपमेंट इस्राब्लिश मेंट के साथ अपना करियर शुरू किया और उन्हें एक होवरक्राफ्ट का हिस्सा बनाया गया। बाद में उन्होने इंडियन स्पेस रिसर्च को जोइन् किया। १९६३ मे. कलाम को साइंडिंग रॉकेट लॉन्चिंग टेक्निक्स पर हविंग प्रोगाम के मेरिलैंड (USA) जाने का मौका मिला इसका भी वृतांत लिए
पुस्तक में मिलता है। किताब में इंडिया के है। सैटेलाइट और मिसाइल प्रोग्राम (SLV-3, Prithvi, Agni, Trishul, Akash, Nag) के
टेक्निकल डिटेल्स इस पुस्तक के बारे में जानकारी दी गई है जरिए लोगों को जानने का मौका मिलता है जिन्होने इंडियन स्पेस रिसर्च में काम
किया है जैसे-विक्रम साराभाई और डॉक्टर बुहम प्रकाश। किताब में करीबन २४ तस्वीरे भी दी गई है। ये तस्वीरे देख लेने भर से ही लगता किताब की पूरी कीमत वसूल हो गई है। है की
* सारांश- इस पुस्तक को उन्होंने चार भागों मे (अध्याय) बाटा है।
* अध्याय-१- इसमें उनके शुरुवाती जीवन के ३२ साल शामिल है। बच्चन के दिन, किशोरावस्था से लेकर रॅकिट्री में प्रवेश तक। उनके जिवन को आकार देने वाले लोगों का वर्णन इत्यादि।
* अध्याय २ – इसमें १९८० तक के सत्रह वषों का वर्णन है, जिसमें इमरी में एक इंजीनीयर से लेकर एसएलवी (५) के सफल, परियोजना निदेशक बनने तक के उनके संघर्ष को दशाया गया है।
* अध्याय ३ – अगले १० साल के बारे में यह अध्याय हमें बताते हैं। ये DRDO की उपलब्धियों का हिस्सा है। कलाम ने इस संस्था को मजबुत करने का काम किया और रक्षा सेवाओ के लिए विकसीत मिसाइल प्रणालियों का योगदान देकर गर्व महसूस कराया। यह सभी गायाए इस पुस्तक में लिखि है।
* अध्याय – इस अध्याय में उन्हे हम कलाम जी के विचारों, तथा आने वाली पीढ़ी के लिए
प्राप्त पुरस्कारों त्या संदेश का वर्णन पढ़ते है।
इमू संपूर्ण पुस्तक को पढ़ने के बाद हमें कलाम के सरल जीवन और उनकी सकारत्मकू सोच की जानकारी मिलती है। को गौरवान्वित करने का सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उन्होने कार्य किया सुदेव ही देवा है। वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे.