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Book Review : Miss. Prachi Kamlakar Nikam, MGV’s Loknete Vyankatrao Hiray Arts Science and Commerce College Panchvati, Nashik.

*पुस्तक की मुख्य विषय-वस्तु*
1. *भारतीय संविधान की संरचना*
पुस्तक भारतीय संविधान की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से शुरू होती है और इसे बनाने की प्रक्रिया पर प्रकाश डालती है। इसमें संविधान सभा के योगदान, संविधान के उद्देशिका (प्रस्तावना) और इसकी मूलभूत विशेषताओं को विस्तार से समझाया गया है।

2. *संवैधानिक अधिकार और कर्तव्य*
पुस्तक में भारतीय नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों जैसे स्वतंत्रता, समानता, सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकारों की विस्तृत चर्चा है। इसके साथ ही, मौलिक कर्तव्यों को भी समझाया गया है, जो नागरिकों के नैतिक और सामाजिक दायित्वों को रेखांकित करते हैं।

3. *मानवाधिकारों का महत्व*
पुस्तक मानवाधिकारों के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप, उनकी उत्पत्ति, और यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (1948) की चर्चा करती है। इसमें मानवाधिकारों के सिद्धांतों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में समझाया गया है और यह बताया गया है कि भारतीय संविधान में इन अधिकारों को कैसे समाहित किया गया है।

4. *संविधान और मानवाधिकारों के बीच संबंध*
लेखक ने संविधान और मानवाधिकारों के बीच के संबंध को स्पष्ट किया है। यह बताया गया है कि कैसे संविधान के विभिन्न प्रावधान मानवाधिकारों को सुनिश्चित करते हैं। विशेष रूप से अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) और अनुच्छेद 32 (मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक उपचार) पर विशेष जोर दिया गया है।

5. *मानवाधिकार संरक्षण के लिए संस्थान*
पुस्तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और राज्य मानवाधिकार आयोगों की भूमिका पर प्रकाश डालती है। इन संस्थाओं के कार्य, अधिकार और सीमाओं को स्पष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त, न्यायपालिका और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका भी चर्चा का विषय है।

6. *समसामयिक मुद्दे*
पुस्तक में वर्तमान समय में मानवाधिकारों के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे जातिवाद, लैंगिक असमानता, बाल श्रम, और पर्यावरणीय अधिकारों पर भी विचार किया गया है।

### *पुस्तक की उपयोगिता*
यह पुस्तक न केवल विधि के छात्रों और अनुसंधानकर्ताओं के लिए उपयोगी है, बल्कि सामान्य पाठकों के लिए भी भारतीय संविधान और मानवाधिकारों को समझने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है। इसकी भाषा स्पष्ट और व्याख्यात्मक है, जिससे पाठक संवैधानिक और मानवाधिकार के जटिल विषयों को आसानी से समझ सकते हैं।

*निष्कर्षतः*, डॉ. सतीश गुप्ता की यह पुस्तक भारतीय संविधान और मानवाधिकारों के बीच के संबंधों को गहराई से समझने के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत है। यह नागरिकों को उनके अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ एक न्यायपूर्ण समाज की स्थापना में योगदान देने के लिए प्रेरित करती है।

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